📕 करीना -ए-जिन्दगी 📕

*_✭ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ✭_*

*_★الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ★_*
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          _*📕 करीना -ए-जिन्दगी 📕*_

                ✍🏻 _*.....भाग-1⃣3⃣*_

                *_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
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*♻ [ निकाह से पहले लड़की देखना ] ♻*
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   _💎  हुज़ूरे अकरम ﷺ की ख़िदमते अक्दस में एक मर्तबा एक सहाबिया खातुन  हाजीर हुई और आपसे निकाह की दरख़्वास्त की, लेकिन हुज़ूर ﷺ ने अपना सर मुबारक झुका लिया और उन्हें कुछ जवाब न दिया । एक सहाबी ने खड़े होकर अ़र्ज़ किया "या रसूलुल्लाह अगर आपको उस औरत की जरूरत नही है,  तो उसका निकाह मेरे साथ फरमा  दीजिए" । हुजुर ﷺ के उन से पूछने पर मअ़लूम हुआ कि उनके पास मुफलिसी की वजह से कुछ रुपये, पैसे,  कपड़ा वगैरह नहीं है।  यहां तक की यहां महर  अदा करने के लिए एक अंगूठी  तक भी नहीं है! अलबत्ता क़ुरआन की कुछ सूरतें याद है! चुनांचे हुजुर ﷺ ने उनके क़ुरआन करीम जानने के सबब से उस सहाबीया खातुन  का निकाह उस सहाबी से फरमा दिया!_
*📚 [बुखारी शरीफ जिल्द 3, बाब नं 65, हदिस नंबर    113 ]*

       _तंबी :-  उलमा ए इक्राम फरमाते है की यह खुसुसीयत उन्ही सहाबी के लिये मख्सुस थी और रसुलुल्लाह ﷺ के बाद ऐसा करने का किसी को हक नही है! क्यो की अल्लाह के रसुल का हुक्म खुद शरीयत है! आज इस तरह से निकाह करना जाइज नही!_
*📚 [अबु दाऊद शरीफ जिल्द 2, बाब नंबर 108 सफा नंबर 132]*
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           इसी तरह एक दूसरी हदीस में है कि रसूले अकरम ﷺ को ख्वाब में हज़रत आएशा सिद्दीका  रदिअल्लाहु तआला अन्हा को निकाह से पहले दिखाया गया।
*📚 [बुखारी शरीफ जिल्द 3, बाब नं 65, हदिस नंबर  112 ]*

     _इन हदीसे मुबारका  से  इमाम बुख़ारी रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने यह साबित किया  है की औरत को निकाह से पहले  देखना जाइज़ है_
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_*📚 [ हदीस :- ]....* सैय्यदना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] फरमाते है_
     
             _"निकाह से पहले औरत को देख लेना इमाम शाफ़अ़ई [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] के नज़दीक सुन्नत है।_
_* 📚  [ हदीस :-*  यही इमाम ग़ज़ाली आगे नक़्ल फरमाते है। के_

    _औरत का ज़माल  मुहब्बत व उल्फ़त का ज़रीया है इसलिए निकाह करने से पहले लड़की को देख लेना सुन्नत है। बुजुर्गों का कौ़ल है कि औरत को बे देखे जो निकाह होता है उसका अंजाम परेशानी और ग़म है।_

*📕 [ कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 260, ]*
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_*📚 [ हदीस :- ]* हुज़ूर सैय्यदना गौ़से आ़ज़म शेख अब्दुल क़ादिर ज़ीलानी [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] इरशाद फरमाते है।--_

    _मुनासिब है के निकाह से पहले औरत का चेहरा और ज़ाहिरी बदन  *[यानी हाथ मुँह वगैरह]* देख ले ताकि बाद मे नफरत या तलाक़ की नौबत न आए क्यों कि तलाक़ और नफरत अल्लाह तआला को सख्त  ना पसंद हैं।_
📕 *[ गुनयातुत्तालेबीन सफा नं 112, ]*
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*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
*(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)*

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