Ta'weez Pahenne Ka Saboot Sahaabi Aur Mohaddiseen Se..

1 - Jaam'e Tirmizi, Hadees No.3528
Tarjumah - "Rasoolullah ﷺ Ne Farmaaya Ke Jab Tum Me Se Koi Nee'nd Me Darr Jaaye To Yeh Du'aa Padhe

"أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّاتِ مِنْ غَضَبِهِ وَعِقَابِهِ وَشَرِّ عِبَادِهِ وَمِنْ هَمَزَاتِ الشَّيَاطِينِ وَأَنْ يَحْضُرُون"

Tarjumah - Mai'n Panaah Maa'ngta Hoo'n Allah Ke Kaamil Wa Jaam'e Kalmo'n Ke Zariye Allah Ke Gazab, Allah Ke Azaab Aur Allah Ke Bando'n Ke Sharr Wa Fasaad Aur Shayaateen Ke Waswaso'n Se Aur Iss Baat Se Ke Woh Humaare Pass Aaye'n.

Yeh Du'aa Padhne Se Pareshaan Kun Khwaab  Usko Kuchh Nuqsaan Nahi Paho'ncha Sakega.

Hazrate Abdullah Bin Umar Radiallahu Anhu Apne Baalig Bachcho'n Ko Yeh Du'aa Sikha Dete The Aur Jo Bachche Na Baalig Hote The Unke Liye Yeh Du'aa Kaagaz Pe Likh Kar Unke Gale Me Latka Dete The". 

Imaam Tirmizi Rahmatullah Alaih Kehte Hai'n Ke Yeh Hadees Hasan Gareeb Hai. (Matlab Yeh Hadees Qaabil e Qabool Hai)

Iss Hadees Ko Aur Kitne Mohaddiseen Ne Likha Hai Post Ke Aakhir Me Mulaaheza Farmaaye'n

2 - Gunyatut Taalibeen, Safha No.130 Me Gause A'azam Shykh Abdul Qaadir Jilaani Rehmatullah Alaih Likhte Hai'n.

Bukhar Ka Ta'weez :-
Neeche Di Huwi Du'aa Likh Kar Aur Ta'weez Banaakar Bukhaar Waale Ki Gardan Me Daaldo, Imaam Ahmad Bin Humble Rehmatullah Alaih Farmaate Hai'n Ke Mujhe Bukhaar Huwa To Yeh Du'aa Likh Kar Di Gayi, 
Tarjuma - Allah Ke Naam Se Jo Bada Maherbaan Nihaayat Rahem Karne Waala Hai, Allah Ke Naam Ki Barkat Se, Mohammad Allah Ke Rasool Hai'n, Aye Aag Ibraaheem Par Thandi Aur Salaamati Waali Hoja, Unhone Ibraaheem Ke Saath Tadbeer Ki Lekin Humne Unhe'n Nuqsaan Uthaane Waala Bana Diya, Aye Jibrail, Meekaa'il Aur Israafeel Ke Rab, Apni Qudrat e Kaamela Se Iss Sahib e Ta'weez Ko Shifa Bakhsh, Tu Hi Sabse Badh Kar Rahem Karne Waala Hai.

3 - Fathul Baari Sharah Sahih Bukhaari, Jild No.10, Safha No.196 Me Imaam Ibne Hajar Askalaani Rehmatullah Alaih Likhte Hai'n.
Tarjumah - "Tamaa'im Tameemah Ki Jama Hai, Isse Muraad Woh Daane Aur Maale Hai'n Jo Gale Me Latkaaye Jaate Hai'n, Ahle Arab Zamaana e Jaahiliyat Me Aqeedah Rakhte The Ke Yeh Tameemah Aafaat Ko Dafa Karte Hai'n.

Imaam Ibne Hajar Askalaani Rehmatullah Alaih Ki Iss Wazaahat Se Yeh Saaf Hogaya Ke Jo Hadees Me "Tameemah Ko Shirk Kaha Gaya Hai" Woh Qur'aani Ya Du'aa'iyah Ta'weez Nahi Balke Mushriko Ke Daane Aur Maale Wagaira Hai.

Qur'aani Ta'weez Pahenna Bilkul Jaiz Hai Balke Sahaabi Ki Sunnat Hai.

Hazrate Abdullah Bin Umar Radiallahu Anhu Waali Hadees Ke Hawaale Mulaaheza Farmaaye'n

1- Jaam'e Tirmizi, Hadees No.3528
2 - Masnade Ahmad Bin Humble, Hadees No. 6696
3 - Imaam Ibne Abi Shayba (Ustaad Of Imaam Bukhaari, Muslim & Abu Daawood) Al-Musannaf, Hadees No. 2413
4 - Imaam Daarmi, Al Raddu Ala Jaheemiya, Safa No. 150
5 - Imaam Bukhaari, Khuliki Afa'alu Ibaad, Safha No. 89
6 - Sunan e Abu Daawood, Hadees No.3893
7 - Imaam Tabraani, Ad-Du'aa, Hadees No.1086.
8 - Imaam Haakim, Al-Mustadrak, Jild No. 1, Safha 733, Hadees No. 2010.
9 - Imaam Baiheqi, Kitaabul Aadaab, Safha No.893
10 - Imaam Baiheqi, Al Isma Wassifaat, Hadees No.4407
11 - Khateeb Tabrezi, Mishqaatul Masaabih, Hadees No.2477
12 - Imaam Munzari, At Targeeb Wat Tarheeb, Hadees No.2496
13 - Imaam Nawvi, Al-Azkaar, Hadees No.354

Wahabio Ke Molvio Ne Bhi Iss Hadees Ko Likha Hai

1 - Allama Zehbi, At-Tibbun Nabi, Safha No.281.
2 - Ibne Taimiyah, Al Kalimut Tayyib, Safha No.32, Hadees No.48.
3 - Ibne Kaseer, Tafseer Ibne Kaseer, Sureh Momin, Safha No.97.
4 - Ibne Qayyim Jauzia, Ja'adul Maad, Jild No.4, Safha No.290
5 - Naasiruddin Albaani, Sahi Sunan e Tirmizi, Hadees 2793

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Momin_Ki_Namaaz

*⚫Namaaz E Magreeb:-*

*●MAS'ALAA:-*

"Magreeb Ke Farz Ke Baad Dono Sunnatein Jald Pad Leni Chahiye Aur Farz Wa Sunnat Ke Darmiyan Kalaam (Baat Cheet)Na Karna Chahiye".

*(Bahare Shariat)*

*■HADEES SHARIF:-*

Hazrat Huzaifa Radi Allahu Ta'ala  Anhu Se Riwayat Hai Ki Huzoor Farmate Hai Ki Jo Shaksh Baad Magreeb Kalaam Karne Se Pehle Do Rakatein Pade, Uski Namaz illiyeen Me Utai Jaygi

*(Tibrani)*

*●MAS'ALAA:-*

"Jis Mukhtadi Ko Magreeb Ki Teesri Rakat Mili Ho, Voh Jab Apni Faut Shuda (Chuti Hui) Do Rakatein
Pade. Tab Pahli Rakat Ke Baad Kha'da Zarur Kare, Yaani Ek Rak'at Ke Baad Kha'da Kare Aur Usme Sirf Attahiyat Padh Kar Khada Ho Jaye, Fir Dusri Rakat Pade Aur Khada E
Akheera Kare".

*(Fatawa Razwiya Jild-3, Safha-392)*

*#Mission_E_TajushShariah*

_औरत का लफ़्ज़ी मा'ना

औरत का लफ़्ज़ी मा'ना

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ


  *( 3 ) औरत का अजनबी मर्द को देखना*
*_सुवाल :-_* औरत गैर मर्द को देख सकती है या नहीं ?
*_जवाब :-_* न देखने में आफ़िय्यत ही आफ़िय्यत है । 
अलबत्ता देखने में जवाज़ की सूरत भी है मगर देखने से क़ब्ल अपने दिल पर खूब खूब और खूब गौर कर ले कहीं येह देखना गुनाहों के गार,में न धकेल दे । 
*फु-कहाए किराम رَحِمَھُمُ اللّٰهُ السَّلَام जवाज़ की सूरत बयान करते हुए फ़रमाते हैं :-* "औरत का मर्दे अजनबी की तरफ़ नज़र करने का वोही हुक्म है जो मर्द का मर्द की तरफ़ नज़र करने का है और येह उस वक़्त है कि औरत को यक़ीन के साथ मालूम हो कि उस की तरफ़ नज़र करने से शह्वत नहीं पैदा होगी और अगर इस का शुबा भी हो तो हरगिज़ नज़र न करे ।"

*_📓बहारे शरीअत,हिस्सा:16,स.86_*
*_📓पर्दे के बारे में सवाल.? जवाब :-21_*
_✍🏼 *बाकी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله*_
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*इस्लामी सवाल------ जवाब*

*______________________________________*
*_सवाल------ नहाने के लिए टप में पानी भरा फिर उस में कुछ गरम पानी मिलाया तो ह़रारत देखने के लिए मैंने उंगली डाल कर पानी चेक किया- मेरी बहन देख रही थी उसने कहा कि अब इस पानी से गुस्ल नहीं कर सकती तो क्या ये बात सही है?_*

*_जवाब----- अगर बगैर धोये हाथ या उंगली या नाखून या बदन का कोई हिस्सा जो वुज़ू में धोया जाता है पानी में बगैर धोये हुए पड़ जाए तो वह पानी वुज़ू और गुस्ल के लायक़ न रहा- इसी तरह जिस पर नहाना फर्ज़ है उसके जिस्म का कोई बे धुला हुआ हिस्सा पानी से छू जाये तो वह पानी वुज़ू और गुस्ल के काम न रहा और अगर धुला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पड़ जाए तो हरज नहीं- अब अगर आप ने पहले हाथ धुल कर पानी में उंगली डाल कर चेक किया था तब तो उसी पानी से गुस्ल कर सकती हैं और अगर बगैर हाथ धुले पानी में उंगली डाल दिया था तो अब उस पानी से गुस्ल नहीं कर सकती कियोंकि वह पानी मुस्तामल हो गया_*

*📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 2 सफह 333*
*📕फतावा रज़विया शरीफ जिल्द 2 सफह 43*
*_________________________*
*_सवाल----- मैं अक्सर बा वुज़ू रहती हूँ फिर उसी ह़ालत में जब खाने का वक्त आया तो मैंने भरे हुए टप में हाथ डाल कर हाथ धो लिए अब उस टप वाले पानी का क्या हुक्म है अब अगर उसी पानी से कोई वुज़ू करना चाहे तो कर सकता है कि नहीं_*

*_जवाब------ अगर हाथ धुला हुआ हो या आप ब वुज़ू हों या वैसे ही हाथ धुले हुए हैं मगर फिर धोने की नियत से और ये धोना सवाब का काम हो तो ये पानी मुस्तामल हो गया यानि वुज़ू के काम का न रहा- लिहाज़ा खाने के लिए हाथ धोने के लिए उसी बरतन में हाथ डालने से वह पानी मुस्तामल हो गया अब उस से वुज़ू नहीं कर सकते_*

*📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 2 सफह 333*
*_________________________*
*_सवाल---- नहाने में बदन से पानी लग कर अगर बाल्टी में गिरे तो इस से पानी में कोई खराबी तो नहीं आती और गुस्ल हो जायेगा या नहीं?_*

*_जवाब----- अगर बदन पर कोई ज़ाहिरी नापाकी नहीं लगी है तो सिर्फ छीटों से पानी में कोई खराबी नहीं आयेगी- बहारे शरीयत में है कि मुस्तामल पानी अगर अच्छे पानी में मिल जाए यानि वुज़ू या गुस्ल करते वक्त क़तरे लोटे या टप में टपके तो अगर अच्छा पानी ज़्यादा है तो ये वुज़ू और गुस्ल के काम का रहा वरना सब बेकार हो गया_*

*📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 2 सफह 334*
*📕फतावा रज़विया शरीफ जिल्द 2 सफह 220*
*_________________________*
*_सवाल----- मेरा एक छोटा नाबालिग बेटा है- जब मैं नमाज़ के लिए वुज़ू करती हूँ तो वह भी मेरे साथ वुज़ू करता है और अपना इस्तेमाल क्या हुआ पानी मेरे बरतन में डाल देता है तो क्या अब उस बरतन का पानी मुस्तामल हो गया या नहीं क्या मैं उस से वुज़ू कर सकती हूँ?_*

*_जवाब------ न समझ बच्चे ने वुज़ू क्या जिस तरह़ दो तीन साल के बच्चे माँ बाप को देखकर बतौरे नक़्ल व हिकायत नमाज़ व वुज़ू करने लगते हैं ये पानी मुस्तामल  न होगा- लिहाज़ा आप उस से वुज़ू कर सकती हैं,_*

*📕फतावा रज़विया शरीफ जिल्द 2 सफह 46*
*___________________________*
*_सवाल---- एक बडे़ बरतन में ज़्यादा पानी भरा हुआ था और एक छोटे बरतन से पानी निकाल रहे थे कि अचानक वह छोटा बरतन पानी में गिर गया अब और पानी भी मौजूद नहीं कि हाथ धोकर वह बरतन निकाल लें और न कोई वहाँ पर है तो क्या मजबूरी में मैं बगैर हाथ धुले निकाल सकता हूँ और निकालने से वह पानी मुस्तामल होगा या नहीं,_*

*_जवाब------ अगर कोई एसी सूरत हाल है कि कोई ब वुजू आदमी भी नहीं है और न ही कोई छोटा बरतन वगैरह है जिस से पानी निकाल सके तो अब मजबूरी में आप खुद पानी में हाथ डालकर निकाल सकते हैं पानी में कोई खराबी नहीं आयेगी_*

*📕बहारे शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 2 सफह 333,*
*📕फतावा रज़विया शरीफ जिल्द 1 सफह 117*
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸

मीलाद शरीफ और फुक़्हा के बारे में जानें।

*🌹🌹🌹🌹रबीउन नूर शरीफ🌹🌹🌹🌹*

                 *मीलाद शरीफ और फुक़्हा* 
 
*रिवायत* - अबु लहब जो कि काफिर था और जिसकी मज़म्मत में सूरह लहब नाज़िल हुई,जब हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम की विलादत हुई तो अबु लहब की बांदी सोबिया ने उसको आकर ये खुशखबरी दी कि तेरे भाई के यहां बेटा पैदा हुआ है इसी खुशी में उसने अपनी बांदी को उंगली के इशारे से आज़ाद कर दिया,बाद मरने के अबु लहब को उसके घर वालों ने ख्वाब में देखा तो हाल पूछा तो कहता है कि मैंने कोई भलाई ना पाई मगर ये कि जब इस उंगली को चूसता हूं जिससे मैंने अपने भतीजे की विलादत की खुशी में अपनी बांदी को आज़ाद किया था तो इससे पानी निकलता है जिससे मुझे राहत मिलती है  
 
📕 उम्दतुल क़ारी,जिल्द 2,सफह 95  
📕 फतहुल बारी,जिल्द 9,सफह 118 
 
*सोचिये कि जब अबु लहब जैसे काफिर को मीलाद शरीफ की खुशियां मनाने की बरक़त से फैज़ मिल सकता है तो फिर हम तो उनके मानने वाले उम्मती हैं अगर चे हम बदकार हैं तो क्या हुआ,हैं तो उन्ही के कल्मा पढ़ने वाले,क्या हमें बारगाहे खुदावन्दी से फैज़ ना मिलेगा,मिलेगा और यक़ीनन मिलेगा,रिवायत में आता है कि हज़रत जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं*  
 
*रिवायत* - जो कोई अदब व ताज़ीम से महफिले मीलाद में शिरकत करेगा इं शा अल्लाह उसका ईमान सलामत रहेगा 
 
📕 अन्नाएतुल कुब्रा,सफह 24 
 
*और सिर्फ ईमान सलामत नहीं रहता है बल्कि अगर कोई काफिर भी हुज़ूर सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के मीलाद शरीफ में सिद्क़ दिल से शामिल हो जाए या किसी तरह का ताऊन करदे तो कोई बईद नहीं कि मौला उसे ईमान जैसी दौलत से नवाज़ दे,मिसाल के तौर पर ये रिवायत पढ़िये और अपना ईमान ताज़ा कीजिये* 
 
*रिवायत* - हज़रत अब्दुल वाहिद बिन इस्माईल रहमतुल्लाह तआला अलैहि फरमाते हैं कि एक शख्स मिस्र में हर साल महफिले मिलाद मुनक़्क़ीद किया करता था उसके पड़ोस में एक यहूदी रहता था,उस यहुदी की बीवी ने कहा कि क्या बात है कि इस महीने में ये मुसलमान बहुत माल खर्च करता है तो उसने कहा कि इस महीने में उनके नबी की विलादत हुई थी जिसकी खुशी में ये एहतेमाम किया जाता है,तो उसकी बीवी खुश हुई और कहा कि ये मुसलमानों का बहुत अच्छा तरीक़ा है और फिर वो सो गई,रात को ख्वाब देखती है कि एक साहिबे हुस्नो जमाल शख्स उस मुसलमान के घर तशरीफ ले गए हैं उनके साथ एक कसीर जमात भी है ये औरत उनके पीछे पीछे उस मुसलमान के घर में दाखिल हो गयी और एक शख्स से पूछा कि ये कौन बुज़ुर्ग हैं तो फरमाया कि ये अल्लाह के सच्चे रसूल जनाब अहमदे मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफा सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम हैं और उनके साथ उनके सहाबा की जमात भी है ये इसलिए हाज़िर हुए हैं कि ये शख्स दिल से हुज़ूर की मुहब्बत में महफिले मीलाद शरीफ मुनक़्क़िद करता है वो औरत बोली कि अगर मैं उनसे बात करना चाहूं तो क्या आप जवाब देंगे तो फरमाया कि बिल्कुल,तो औरत हुज़ूर की बारगाह में हाज़िर हुई तो हुज़ूर ने लब्बैक फरमाया तो कहती है कि आप मुझ जैसी को जवाब से नवाज़ते हैं हालांकि मैं आपके दीन पर नहीं हूं तो आप सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि बेशक मैंने जान लिया कि तुझको हिदायत मिल चुकी है तो फरमाती है कि आप सच कहते हैं आप साहिबे खुल्क़ हैं मैं गवाही देती हूं कि बेशक आप अल्लाह के सच्चे रसूल हैं,फिर ये अपने घर को लौट आई और अहद किया कि सुबह को जो कुछ उसकी मिल्क है वो सब दीने इस्लाम पर लुटा देगी और हुज़ूर की मीलाद मनायेगी,जब सुबह को आंख खुली तो क्या देखती है कि उसका शौहर उससे पहले ही दावत के कामों में मसरूफ है तो हैरानी से पूछती है कि ये क्या माजरा है तो उसका शौहर कहता है कि रात तुमने इस्लाम क़ुबूल कर लिया तो कहती है कि तुम्हे इसकी खबर कैसे हो गई तो शौहर बोला कि मैं भी तेरे बाद उसी महबूबे दोआलम सल्लललाहो तआला अलैहि वसल्लम के हाथों पर ईमान ला चुका हूं  
 
📕 मिलादुन नबी,सफह 60 
📕 तज़किरातुल वाएज़ीन,सफह 200

KARAMAAT-A-GAUS-A-AAZAM

*_•»KARAMAAT-A-GAUS-A-AAZAM«•_*

*_Hazrat Isa Alaihi Salam Ka Zamana Paane Ki Khaber Dena_*

*Aapke Sahab-Zaade Hazrat Abdul Wahab Rehmatullah Ta'aala Alaihi Ke 5 Bete The!* 

*_Un Mayse Ek Hazrat Sayyad Jamalullah Aapke Hum-Shakl Aur Hum-Shabih Aur Nihayat Khub-Sirat The! Aapne Unse Farmaya Ki Teri Umr Lambi Hogi, Tu Zamana Hazrat Isa Alaihi Salam Ka Payega! Mera Salam Unki Khidmat May Pahuchana! To Wo Abhi Zinda Aur Maujud h Hain Aur 7 Abdaal Mayse Ek Abdaal Hain Aur Shaher Bistaan May Tehre Hue Hain!_*

📚 *(Masalikul Saalikeen, Pg-345)*

💎 *TASHRIH* 💎

*_Is Karamat Se Malum Hua Ki Hazrat Sayyad Jamalullah Rehmatullah Ta'aala Alaihi, Sayyadina Gaus-A-Aazam Rehmatullah Ta'aala Alaihi Ke Zamane Se Zinda Hain Aur Zinda Rahege, Yahan Tak Ki Wo Hazrat Isa Alaihi Salam Ka Zamana Pa Lege! Jabki Hazrat Isa Alaihi Salam Chauthe Aasmaan Se Duniya May Dobara Tashrif Layege, Jaise Ki Hadees Sharif May Aaya Hain! Hazrat Sayyad Jamalullah Rehmatullah Ta'aala Alaihi Ki Us Waqt Maut Nahi Hogi Jabtak Ki Sayyadina Gaus-A-Aazam Rehmatullah Ta'aala Alaihi Ka Salam Hazrat Isa Alaihi Salam Ko Na Pahucha De!_*

*Kyonki Hazrat Gaus E Aazam Rehmatullah Ta'aala Alaihi Ka Farmaan Saccha Hain Aur Pura Hoker Rahega! Hazrat Jamalullah Rehmatullah Alaihi Un 7 Abdaalon Mayse Ek Hain Jo Shaher Bistaan May Hain! Isse Malum Hua Ki Aapko Koi Nahi Pehchaanta Hoga Siwaye Auliya-A-Kaamileen Ke!*

*_Dusra Jaise Ki Hazrat Khizr Alaihi Salam Ko Hamesha Ki Zindagi Mili, Aab-A-Hayaat Pine Ki Wajahse Yani Qayamat Tak Aap Zinda Rahege, Fir Qudrati Maut Aayegi Uski Jaise Hazrat Jamalullah Rehmatullah Alaihi Ka Maamla Hain Ki Sayyadina Gaus-A-Aazam Rehmatullah Ta'aala Alaihi Ke Zamane Se Hazrat Isa Alaihi Salam Ke Zamane Tak Aapka Zinda Rehna Saaf Hain, Iske Baad Bhi Kabtak Rahege Iska Zikr Nahi! Yeh Aapki Azim Karamaton Mayse Hain!_*

*Malum Hua Ki Hazrat Sayyadina Gaus-A-Aazam Rehmatullah Ta'aala Alaihi Ka Farmaan Aab-A-Hayaat Ka Darja Rakhta Hain!*

Khubsurat Waqiya

एक मर्तबा हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ को किसी ने सवाल किया 
कब तक हम कमज़ोरों को दावत देते रहोगे.... मक्का का जो पहलवान है उसको दावत क्यों नही देते.....? 

मक्का का पहलवान जिनका नाम था हज़रत रुकाना बहुत जबरदस्त पहलवान था...!
रुकाना के बारे में लिखा है वह इतने ज़बरदस्त पहलवान थे अगर एक जगह बैठ जाते तो 40 आदमी मिल कर भी उनको उठा नही सकते थे। 
किसी ने आकर कहा कब तक हम कमज़ोरों को दावत देते रहोगे अगर आप पैगम्बर इस्लाम हैं आप का दिन सच्चा है अगर आप नबी है तो रुकाना को जा कर दावत दो ....!

हमारे नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ मक्का में रुकाना के दरवाज़े पर गए दरवाज़ा खटखटाया अंदर से रुकाना ने पूछा कौन......! आप ﷺ ने फरमाया मै मुहम्मद मै अल्लाह का रसूल हुँ। एक बार कलमा पढ़ले तू कामयाब हो जाएगा ...!
वह तो पहलवान बोला कलमा पढू. ...? ना ना कलमा नही पढूंगा मैं तो अपनी ताकत के बलबूते पर जीता हुँ मैं कलमा नही पढूंगा। 
नबी ने बहुत समझाया तो रुकाना बोला अगर तुम नबी हो तो कुश्ती का एक मुक़ाबला हो जाये। अगर मैं तुझे पछाड़ दूँ तो तू मेरी तरह बन जाना अगर तू मुझे पछाड दे तो मैं कलमा पढ़ लूँगा...! 

आप मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने फरमाया मुझे यह भी मंज़ूर है। 
इस बहाने कम अज़ कम मेरा उम्मती जहन्नम से आज़ाद तो हो जाएगा। 
जब रुकाना ने देखा अच्छा मैं मक्का का पहलवान और यह मुझे चैलेंज दे रहा तो रुकाना ने कहा अभी नही अभी नही अब तो मैदान में मुक़ाबला होगा और सारे लोग जमा होंगे। 
चुनांचे ऐलान हुआ सारा मक्का जमा हो गया पूरा मैदान खचाखच भर गया। 
आप मुहम्मद मुस्तफ़ा  ﷺ ने रुकाना से कहा ए रुकाना अब यह मुक़ाबला शुरू होगा ...
रुकाना ने कहा मुक़ाबला तो करेंगे पहले यह  बताओ आप मुझपे पहले हमला करेंगे या पहले मैं हमला करूँगा....

 नबीए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ की आंखों में आंसू आ गए फ़रमाया ना मैं 
तुझ-पे हमला नही करूँगा, कोई नबी अपने उम्मती पे हमला नही किया करता... [सुब्हान अल्लाह] 
इस लिए तू मुझपे हमला करले मैं उसके लिए तैयार हूं ...!

अब वह रुकाना तो रुकाना पहलवान थे सारा मक्का उनके साँथ मे था सारे मर्द और सारी औरतो ने उसके नाम की आवाजे लगाई वो रुकाना दौड़ता दौड़ता आया करीब था के हमारे नबी-ए-करीम पर हमला करता..!!

 जैसे ही उछला नबी ने रहमत वाले हाँथों  को फैला दिया वह उछल कर नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ की गौद में आ गया.. 
हमारे नबी-ए-करीम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने बड़े मुहब्बत से उसे ज़मीन पर रखा... ले रुकाना तू हार गया और में जीत गया..

वह रुकाना चकरा गया के यह क्या हुआ अचानक रुकाना कहता है.. ऐ-मुहम्मद यह मेरी समझ मे नही आया मुझको एक और चांस दे-दो ना इसलिए के मैने हज़ारो कुश्तिया लड़ी लेकिन :- ऐसी कुश्ती तो मैने आज तक नही लड़ी .....
नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने फरमाया 
रुकाना जा तुझे दूसरा मौका भी देता हूं ..

हज़रत रुकाना फिर दौड़ते-दौड़ते आये 
फिर उछले नबी ने रहमत वाले हाँथों को फिर से फैलाया रुकाना उछल के गौद में आ गए हमारे नबी-ए-करीम ﷺ ने फिर से मुहब्बत से ज़मीन पर रख दिया। और फ़रमाया रुकाना तू फिर हार गया में जीत गया ..!
रुकाना ने फिर कहा नही समझ के सब बाहर है एक और चांस आखरी चांस। 

जब तीसरी बार हज़रत रुकाना आये हमारे नबी ए करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ ने इसी तरह अपने मुबारक हाँथो को रखा रुकाना उछले और उछलने के बाद नबी की गोद में, नबी ने बड़े मुहब्बत से ज़मीन पर रखा। 
हज़रत रुकाना को ज़मीन पर रखना था रुकाना ने ऐलान फ़रमाया....
 
अशहदुअल्लाह इल्लाह इल्लल्लाह व अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह

अब सारा मक्का रुकाना को कहने लगा 
नाम डूबा दिया मिट्टी में मिला दिया 
कलमा पढ़ लिया तूने तू मक्के का पहलवान तू मक्के का जांबाज़ तू मक्के का इतना बहादुर और तूने कलमा पढ़ लिया। 

हज़रत रुकाना ने फरमाया ए मक्का वालो मैने कलमा इस लिए नही पढ़ा के में कुश्ती में तीन बार हार गया ...
मैने तो इसलिए कलमा पढ़ा के बहुत कुश्तिया लड़ा हु बड़े बड़े मैदानों में गया हूं लेकिन:- हमारा यह दस्तूर है... 
जब सामने वाला कंट्रोल करता है तो ज़ोर से ज़मीन पे पटकता है ... मैं तीन मर्तबा नबी के कंट्रोल में आया वह चाहते तो मुझे ज़ोर से ज़मीन पे पटकते लेकिन:- अल्लाह की कसम वह मुझे ऐसे ज़मीन पर रखते थे जैसे कोई शफ़क़त करने वाली माँ अपने दूध पीते बच्चे को ज़मीन पे रखती है। 
ए मक्का वालो तुम्हे क्या मालूम जब में पहली मर्तबा दौड़ा था उनके चेहरे से वो नूर उठ रहा था जो आसमान की तरफ जा रहा था मैं उसी वक़्त समझ गया यह किसी मामूली इंसान का चेहरा नही यह तो नबूवत वाला चेहरा है उसी वक़्त मेरे दिल ने कहा यह झूठा नही हो सकता यह तो नबी के सिवा और कुछ नही हो सकता....

सुबहानहु व तआला हमे कहने और सुनने से ज़्यादा अमल की तौफीक अता फरमाये....!!

पोस्ट पसंद आए तो #शेयर किजिए।।

 *दुआ मे याद रखना*  
*sidhu Gujjar ashrafi *

Ta'weez Pahenne Ka Saboot Sahaabi Aur Mohaddiseen Se..

1 - Jaam'e Tirmizi, Hadees No.3528 Tarjumah - "Rasoolullah ﷺ Ne Farmaaya Ke Jab Tum Me Se Koi Nee'nd Me Darr Jaaye To Yeh Du...